एक ऐसा कलाकार जो अपनी अदाकारी से लोगों को आने वाला भारतीय सिनेमा का सुपर स्टार लग रहा था, वह सितारा बुझ गया। सुशांत सिंह राजपूत ने बांद्रा के अपने अपार्टमेंट में फंदा लगाकर आत्महत्या कर ली। आखिरी फिल्म छिछोरे थी इसमें "सुसाइड से निपटने की बात की गई थी" जिसमें सकारात्मकता पर जोर दिया गया था। जिसमें बताया गया था, आत्महत्या जैसे कदम नहीं उठाने चाहिएं, सकारात्मक रहना चाहिए।
सवाल यह उठता है कि अवसाद है क्या ?
अवसाद के कारण –
अवसाद के लक्षण -
एक ऐसा सितारा जिसने अपने करियर के शुरुआती दिनों से ही लोगों के दिलों पर राज करना शुरू कर दिया था। स्टार प्लस के कार्यक्रम "किस देश में है मेरा दिल" और ज़ी टीवी के कार्यक्रम "पवित्र रिश्ता" के किरदार "मानव" से लोगों के दिलों में गहरी जगह बनाई।
फिल्मी दुनिया का करियर 3 दोस्तों पर आधारित फिल्म "काई पो चे" से किया था। इस फिल्म के किरदार के लिए सुशांत सिंह राजपूत का नाम फिल्म फेयर बैस्ट "मेल डेव्यूट" अवार्ड के लिए नामित हुआ था। अंतिम फिल्म छिछोरे थी, जो लोगों ने काफी हद तक सराही थी।
इनके अलावा बॉलीवुड में नामी कलाकारों द्वारा आत्महत्या करने की एक लंबी फेहरिस्त है जैसे गुरुदत्त, परवीन बॉबी, रीमा कपाड़िया, जिया खान, प्रत्यूषा बनर्जी और भी कई नाम हैं।
इनमें से अधिकतर लोग "अवसाद" ग्रसित थे
सवाल यह उठता है कि अवसाद है क्या ?
अवसाद या डिप्रेशन का तात्पर्य मनोविज्ञान के क्षेत्र में मनोभावों से संबंधित दुख से होता है इसे सिंड्रोम या रोग की संज्ञा दी जाती है। आसान भाषा में बताएं तो व्यक्ति के व्यवहार में बदलाव आता है जब वह अवसाद ग्रस्त होता है। आजकल के भागदौड़ भरे जीवन में अवसाद होना सामान्य है। बच्चा हो या बुढा हर व्यक्ति किसी न किसी तरह के तनाव से गुजर रहा है। कुछ हद तक तनाव होना सामान्य भी है, लेकिन तनाव अगर हमारे जीवन में हावी होने लगता है तो अवसाद बन जाता है। कुछ लोग गंभीर अवसाद को सामान्य तनाव समझकर अनदेखा कर देते हैं। जिससे स्थिति बद से बद्तर होती चली जाती है, इसलिए जरूरी है, कि हम समय रहते और अवसाद को पहचाने, और उससे बाहर निकलने का प्रयास करें।
अवसाद के कारण –
अवसाद के कई कारण हैं। और अलग-अलग लोगों में अवसाद होने के अलग-अलग कारण है। अक्सर जब बच्चे स्कूल में पढ़ रहे होते हैं तो कई बच्चे पढ़ाई में कमजोर होते हैं तो वह जब बार-बार स्कूल में कम मार्क्स लाते हैं। बार बार किसी कक्षा में जब वह फेल होते हैं तो इस वजह से भी कई बच्चे अवसाद से ग्रसित हो जाते हैं।
जब बच्चा थोड़ा बड़ा होता है कॉलेज चला जाता है तो अपने भविष्य को लेकर चिंता शुरू हो जाती है। जब वह अपनी उम्मीदों पर खरा नहीं उतरता तो अवसाद से ग्रसित होने के चांस होते हैं। जब खास करके व्यक्ति प्रेम संबंधों में पड़ता है, और जब साथी से अपेक्षा के अनुरूप प्रेम व समर्पण नहीं मिलता और किसी वजह से दूरियां बढ़ जाए या संबंधों में अलगाव हो जाए तो ऐसे में कई लोग अवसाद से ग्रसित हो जाते हैं जिसकी वजह से कई लोग आत्महत्या तक करते हैं।
जब व्यक्ति वैवाहिक जीवन में आता है तो पारिवारिक जिम्मेदारियों में गिरा रहता है। ऐसे में जब बच्चों से बहुत ज्यादा उम्मीदें पाली जाती है तो तब भी इंसान तनाव से ग्रस्त हो जाता है और यह तनाव अवसाद का कारण बन जाता है।
ज्यादातर अवसाद ग्रसित व्यक्ति जीवन में प्रेम संबंधों का विच्छेद और आर्थिक मजबूरियों से व्यक्ति बिल्कुल ही टूट जाता है और रिकवर नहीं कर पाता और ज्यादातर लोग इन दोनों कारणों से ज्यादा आत्महत्या करते हैं या फिर अवसाद के कारण किसी गंभीर बीमारी से ग्रसित होकर मृत्यु को प्राप्त कर लेते हैं। जो व्यक्ति अपने आप को अकेला महसूस करता है और अंदर ही अंदर घुटने लगता है तो जल्द ही अवसाद ग्रस्त हो जाता है।
अवसाद के लक्षण -
अवसाद से ग्रसित व्यक्ति हमेशा चिंतित रहता है, और हमेशा ही ऐसे व्यक्ति के विचारों में निराशावादीता झलकती है। खुद को दोषी बेकार व असहाय महसूस करता है। एकाग्रता और निर्णय लेने की क्षमता में कमी आती है। ऐसे लोग या तो बहुत ज्यादा सोते हैं या फिर बहुत कम। भूख में भी बदलाव होता है। ऐसे लोग या तो बहुत अधिक खाते हैं या फिर बहुत कम। अवसाद से ग्रसित व्यक्ति का वजन बहुत अधिक बढ़ता है, या फिर बिल्कुल ही नहीं बढ़ता। अवसाद से ग्रसित लोग बहुत चिड़चिड़ा और क्रोधी स्वभाव के रहते हैं। सोशल लाइफ से दूर हो जाता है। परिवार और दोस्तों से दूरी बनाने की भरपूर कोशिश करता है शराब और नशीले पदार्थों का अत्यधिक उपयोग भी करते है। मन में आत्महत्या का विचार आता है और मरने का मन करता है।
अवसाद से ठीक होने और बचने के उपाय -
जब व्यक्ति अवसाद से
ग्रसित हो और
जब हमें लगे
कि हम किसी
तनाव में हैं,
तो कोशिश करें
कि सुबह जिस
समय हम उठते
हैं उससे थोड़ा
सा पहले उठें।
हल्का व्यायाम करना
शुरू करें हां
जब धीरे-धीरे
लगे व्यायाम करने
की आदत पड़
रही है, तो
थोड़ा और जल्दी
उठे और हर
दिन व्यायाम करें।
अगर योगा कर
सकते हैं तो
योगा करिए जिनमें
प्रमुख इस तरह
हैं हलासन, शवासन,
पश्चिमोत्तानासन, सर्वांगासन व सूर्य
नमस्कार। यह कुछ
तरह के तनाव
से लड़ने के
लिए महत्वपूर्ण योगासन
है। अगर जिम
जा सकते हैं
तो जिम जाइए
क्योंकि जब हम
जिम आते हैं
तो वहां तरह
तरह के लोगों
से मिलना होता
है और जब
अच्छी सेहत बनती
है तो व्यक्ति
में अनायास ही
आत्मविश्वास बनना शुरू
हो जाता है।
चाहे फिर हालात
कैसे भी हों।
और व्यायाम एक
भगवान की हमें
ऐसी नेमत है
जो हर एक
बीमारी का इलाज
है।
ऐसा संगीत सुनें जो
आपके मन को
खुशी प्रदान करता
हो। साथ साथ
में हो सके
तो आजकल यूट्यूब
में काफी सारे
मोटिवेशनल स्पीकर्स भी हैं
आप उन्हें सुने
और उनकी जो
छोटी-छोटी बातें
हैं उन पर
अमल करें अवसाद
से लड़ने की
हिम्मत मिलेगी।
कोशिश करें की
जब जीवन में
ऐसी परिस्थितियां बने
तो धर्म के
मार्ग को अपनाएं
आप किसी भी
धर्म के हो
पूजा करिए, इबादत
करिए, और अपने
धार्मिक पुस्तकों को पढ़ें
उन में हर
तरह की समस्याओं
का हल बताया
गया है यह
पुस्तकें गूढ़ रहस्य
से भरी हुई
हैं।
और सबसे
जरूरी बात मुश्किल
चाहे जितनी भी
बड़ी हो कोशिश
करें कि अपने
परिवार व मित्रों
के संपर्क में
रहें। उनसे समय-समय पर
बात करें। अपने
दिल की बातें
बताएं जिससे हमारा
मन हल्का होता
है, और जिस
समस्या की वजह
से हम अवसाद
में पड गए
हैं। हमें उससे
लड़ने की भी
शक्ति मिलती है।
परिवार और
मित्र दुनिया के
दो ऐसे संस्थान
है जहां पर
हर समस्या कल
उपलब्ध रहता है।
अगर हमारा कोई दोस्त
हमारा भाई हमारा
मित्र कुछ अजीब
सी हरकतें कर
रहा है तो
हमें चाहिए कि
हम उससे बात
करें उससे पूछो
उसकी तकलीफ को
सांझा करें, क्योंकि
तभी तो हम
इंसान हैं वरना
इंसान और जानवर
में क्या अंतर
रहेगा। क्या पता
हम जब किसी
से बात कर
रहे हो, तो
हो सकता है
हम उसका जीवन
बचा रहे हों
कोशिश करें हर
एक के दुख
तकलीफ में खड़े
रहिए जरूरी नहीं
है, कि किसी
की सहायता खाना
और पैसे देने
से ही की
जा सकती है।
आपके विचार आपका
साथ होना यह
भी किसी की
जिंदगी बचा सकता
है और यह
सबसे बड़ी सहायता
होती है।
इन सब से
भी अगर किसी
व्यक्ति के अवसाद
को दूर करने में
सहायता ना मिले
तो ऐसे व्यक्ति
को डॉक्टर से
मिलना चाहिए। क्योंकि
डॉक्टरी सहायता से अवसाद
का इलाज मुमकिन
है।
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