हिमाचल प्रदेश देव भूमि के नाम से जाना जाता है। यह पर बहुत से देवी देवता ऋषि मुनियो का बास स्थान है। हम इस ब्लॉग में आपको सभी देवी देवता और ऋषि मुनियो के निबास स्थान और उनके इतिहास के बारे में अबगत कराएगे।
ऋषि जमदग्नि  का इतिहास और  स्थान
ऋषि जमदग्नि  का इतिहास और  स्थान
हम इस लेख में आपको ऋषि जमदग्नि जिनका स्थान डूंगरी (मनाली) में है उनके बिषय में जानकारी देंगे। उम्मीद है आपको पसन्द आएगी। इसलिए इस लेख को पूरा पड़े।

ऋषि जमदग्नि का इतिहास  

जनश्रुतियों के अनुसार ऋषि जमदग्नि बृगुबंशी ऋचीक  के पुत्र थे।  ऋषि जमदग्नि सप्तऋषियों में एक थे। ऋषि जमदग्नि भगवन परशुराम के पिता है। ऋषि जमदग्नि के पास इच्छित फलो को देने बाली कामदेनु गाय थी। पुराणों के अनुसार माता रेणुका ऋषि जमदग्नि की पत्नी है। ऋषि जमदग्नि के पुत्र भगवन परशुराम को विष्णु का छठा अबतार माना जाता है। पृथ्वी पर  हैहयवंशीय क्षत्रिय राजाओं ने  अपना आंतक मचा रखा था। जब हैहयवंशीय क्षत्रिय राजा  कार्तवीर्य  ने ऋषि जमदग्नि की गाय को छीन कर अपनी राजधानी ले जाते है तब ऋषि जमदग्नि के पुत्र परशुराम ने कार्तवीर्य का बध करके गाय को बापिस लाया था। और परशुराम ने पूरी पृथ्वी पर घूम घूम  के 21  बार  क्षत्रियों का संहार किया तब उन्होंने अपने पिता के मस्तक को धड़ से जोडा था।भगवन परशुराम  ने अपने पिता की बात का सामान करते हुए अपनी माता रेणुका का भी एक बार बध किया था। 

जमदग्नि ऋषि के स्थान डूंगरी (मनाली )का महत्ब। 

जमदग्नि ऋषि का स्थान मनाली में डूंगरी में स्थित है। डूंगरी मनाली बस स्टैंड से 4 किलो मीटर उतर दिशा में पहाड़ी पर स्थित है। डूंगरी गांव में जमदग्नि का स्थान माता हडिम्बा के मंदिर के साथ है। जहा पर एक मंच बना हुआ है स्थानीय भाषा में उसके थोआ कहा जाता है। जब भी माता हडिम्बा के प्रगाण में मेला होता है। जमदग्नि ऋषि अपने उसी स्थान पर कर बैठते है। कुल्लू मनाली में बहुत सी जगह पर जमदग्नि ऋषि को  पूजा जाता है। पर 12 स्थानों को विशष मनीयता दी जाती है। जनश्रुतियों के अनुसार जमदग्नि ऋषि को माता हडिम्बा का भाई माना जाता है। जाणा , मलाणा में भी जमदग्नि ऋषि के स्थान है। और जनश्रुतियों के अनुसार यह बिशेष महत्ब रखते है। जमदग्नि ऋषि का मुखिया मेला फगली होती है। यह अक्सर फरबरी लास्ट यह फिर मार्च के प्रथम सप्तहा में हर बर्ष होती है।