पराशर ऋषि का पवित्र स्थान कुलंग मनाली : मनाली से लगभग
8 किलोमीटर आगे रोहतांग
की तरफ एक
छोटा सा गांव
आता है कुलंग,यह
एक छोटा सा
गांव है। और
बहुत पवित्र भी
यहां के ग्राम
देवता हैं, पराशर
ऋषि इन्हें भारत
के कुछ महान
ऋषि यों में
से एक माना
जाता है।
पराशर ऋषि शक्ति मुनि के पुत्र वेद व्यास के पिता और सप्तर्षियों में से एक माने जाने वाले महर्षि वशिष्ठ के पौत्र हैं। पराशर ऋषि जन्म से पहले 12 वर्षों तक अपनी माता की कोख में ही रहे थे और यह बहुत अद्भुत बात है कि इन्होंने माता की कोख में ही काफी ज्ञान उपार्जन कर लिया था।
पराशर ऋषि शक्ति मुनि के पुत्र वेद व्यास के पिता और सप्तर्षियों में से एक माने जाने वाले महर्षि वशिष्ठ के पौत्र हैं। पराशर ऋषि जन्म से पहले 12 वर्षों तक अपनी माता की कोख में ही रहे थे और यह बहुत अद्भुत बात है कि इन्होंने माता की कोख में ही काफी ज्ञान उपार्जन कर लिया था।
पराशर ऋषि कुलंग
के ग्राम देवता
हैं। इनके साथ
साथ यहां पर
जमदग्नि ऋषि का
स्थान भी है
जिन्हें स्थानीय लोग बड़ा
देवता कहते हैं। इन्हें
जमदग्नि ऋषि भी
कहते हैं। वैसे
गांव में यहां
अन्य देवता भी
हैं जिनके छोटे-छोटे मंदिर
हैं जिन्हें डेहरी कहते
हैं।
कुछ साल पहले
तक गांव में
पराशर ऋषि का
कोई रथ नहीं
था। एक बार
जब जमदग्नि ऋषि
शाही स्नान के
लिए दशोहर झील
गए शाही स्नान
के लिए तो
वहां पर पराशर
ऋषि का मोहरा
मिला तत्पश्चात कुलंग
गांव में देवता
का रथ बनाया
गया। यह झील
रोहतांग पास के
साथ चोटी पर
है। समय-समय
पर पराशर ऋषि
का रथ यहां
पर शाही स्नान
के लिए ले
जाया जाता है।
कुलंग में देवता
के सम्मान में
शाउण मेले का
आयोजन भी किया
जाता है जिसमें
अन्य गांव के
देवता भी हिस्सा
लेते हैंसंस्कृत साहित्य
में पराशर ऋषि
का नाम आदरणीय
ही नहीं अति
प्राचीन भी है।
संसार की प्राचीनतम
पुस्तक ऋग्वेद मैं वशिष्ठ,
शतायु के साथ
साथ पराशर ऋषि
का नाम भी
आता है
पराशर गीता
महाभारत के आदि
पर्व में भीष्म
और युधिष्ठिर के
संवाद में युधिष्ठिर
को भीष्म ने
राजा जनक और
पराशर के बीच
हुए वार्तालाप को
प्रकट करते हैं।
इस वार्तालाप को
ही पराशर गीता
नाम से जाना
जाता है। शांति
पर्व में सभी
तरह के दर्शन
और धर्म विषयक
प्रश्नों के उत्तर
का विस्तृत वर्णन
मिलता है
पराशर गीता के
अध्याय 5 के श्लोक
29 में कल्याण प्राप्ति हेतु
धर्म के संबंध
में कहा गया
है कि जैसे
मनुष्य में धर्म
और अधर्म निवास
करते हैं उस
प्रकार मनुष्य से इतर
अन्य प्राणियों में
नहीं।
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